बिहार में कृषि, कृषि विपणन तथा भंडारण की वर्त्तमान दशा
मनोज कुमार, डाॅ. देवेन्द्र चैधरी
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है और यहाँ की अर्थव्यवस्था में कृषि का महती योगदान रहा है। स्वतंत्रता के पश्चात सरकार ने कृषि के उन्नति और भूमि सुधारों पर विशेष ध्यान दिया है परन्तु आज भी राज्य में कृषि व्यवस्था पिछड़ी हुई है और किसानों की स्थिति सुढृढ़ नहीं हो सका है। पिछले अध्याय में हमने कृषि विपणन व्यवस्था, शोध कार्य का उद्देश्य, शोध का महत्व, कार्य योजना पर प्रकाश डाला है। प्रस्तुत अध्याय में बिहार में कृषि की स्थिति, कृषि विपणन एवं भंडारण की वर्तमान स्थिति का वर्णन किया गया है। बिहार में कृषकों को काफी कठीनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। चाहे पैक्स को उत्पाद बेचना हो अथवा खरीददारों को, कृषकों को कई चरणों में भूगतान में कटौती और अतिरिक्त शुल्क की कटौती का सामना करना पड़ता है। इसके अतरिक्त उत्पाद के उचित भंडारण के कमी होने के परिणाम स्वरूप, राज्य के किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राज्य के आर्थिक पिछड़ेपन का इतिहास लम्बा रहा है। आजादी के बाद समृद्धि की दृष्टि से प्रति व्यक्ति आय के आधार पर विभिन्न राज्यों की श्रृंखला में बिहार का स्थान पांचवां था, लेकिन पिछले दशक में राज्य सबसे नीचे चला गया और विभाजन के बाद भी उसी जगह पर कायम है।
मनोज कुमार, डाॅ. देवेन्द्र चैधरी. बिहार में कृषि, कृषि विपणन तथा भंडारण की वर्त्तमान दशा. Int J Res Marketing Manage Sales 2023;5(1):69-73. DOI: 10.33545/26633329.2023.v5.i1a.136